मैं आशा लता सक्सेना अपने पंद्रहवे काव्य संग्रह ”मधु मालती ” के साथ आपके समक्ष उपस्थित हूँ
न जाने आप को यह काव्य संग्रह कितना पसंद आएगा |मुझे मेरी बहन साधना वैद और मेरे घर से पूरा सहयोग
मिला है लेखन मे | मुझे पूर्ण विश्वास है
की आप मुझे पूर्व की तरह प्रोत्साहन देते रहेंगे और मूल्यांकन
करेंगे मेरी पुस्तक का |मैं आज तक किसी एक विधा में लिखने का प्रयत्न नहीं कर पाई |मुझे सरल बोधगम्य भाषा का उपयोग कर लिखने में बहुत आनंद आता है| मेरा सोच है कि भाषा इतनी सरल हो कि जन जन तक पहुँच
पाए और सब उसका आनन्द उठा पाएं |
किसी एक विषय पर लिखने का प्रयास नहीं किया है | नारी सशक्तिकरण पर देखिये -
मुझे गंतव्य तक पहुंचाया
कोई तो है मददगार मेरा
वही मेरा हमराज हुआ
बोझ मन का कम हुआ |
आसपास का सामाजिक
वातावरण और पर्यावरण ही पर्याप्त है लिखने
के लिए |कभी आज की राजनीति पर भी लिखा है-
१- जंगल में दंगल हुआ
वर्चस्व की छिड़ी लड़ाई
एक भी सही ढंग से न रख सका
अपना पक्ष को |
२-किया जब इकरार किसी से
उसे पूरा करना है तन मन से
यही सीखा है अपने अनुभवों से
किसी पर बोझ न बनना |
पञ्च तत्व से बनाया पिंजरा
द्वार बंद करना था शेष
तभी जीव ने कदम रखा
पीछे से आए माया मोह मद लोभ |
हंस कर काटें पल दो पल
जीवन में और क्या रखा है |
मन का मंथन कर अपनी की गई भूलों पर भी विचार व्यक्त किये हैं | जीवन भर व्यक्ति विद्द्यार्थी
ही रहता है |सब से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है -
१-तुमसे सीखा कठिन परिश्रम
दृढ निश्चई होना सीखा |
२-जीवन की समस्याओं के बीच
खिला फूल कमल का |
३-कोई तो हो मददगार मेरा
जब वक्त पर आ खड़ा हुआ
बैशाखी बन सहारा दिया
मुझ में साहस का संचार हुआ |
४-हूँ कितनी अकेली
अब तक जान न पाई
मेरे मन में क्या है
खुद पहचान न पाई |
मैं क्या हूँ और क्या सोचती हूँ यह तो
मेरे पाठकगण ही आकलन कर पाएंगे |बहुत बहुत
धन्यवाद आप सब का |
आशा लता सक्सेना
रिटायर्ड व्याख्याता, “अंग्रेजी”
सरकारी उच्चतर माद्यमिक विद्यालय
उज्जैन, मध्य प्रदेश
बहुत सुन्दर आमुख आपके संकलन का ! अच्छा लिखा है ! पुस्तक की अधीरता से प्रतीक्षा है !
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