एक दिन बाजार से कुछ सबजी लाने को कहा इनका कोई मूड न था|
इन्होंने कहा तुम ही क्यों नहीं लातीं
या किसी से मंगवालो |
पहले तो बहुत गुस्सा आया फिर खुद ही चल दी सब्जी लेने |
पर जल्दी में थैली लाना तो भूल ही गई थी |जब सब सब्जियां खरीद लीं पेमेंट कर
दिया तब सब्जी वाले ने पूछा किस में सब्जी डालूँ |तब मुझे याद आया कि थैली तो घर पर ही रह गई मुझे बड़ी कोफ्त हुई सोचा
क्यूँ न यहीं से एक थैली खरीदली जाए यदि
घर थैली लेने गई तो बहुत देर हो जाएगी |तभी एक बहिन जी मेरी ओर आती दिखाई
दीं |उन्हों ने आवाज दी अरे आपका झोला तो राह में ही गिर गया था|
मुझे अपनी लापरवाही पर बहुत शर्मिंदगी नजर आई खैर उनसे थैली ली और धन्यवाद
दिया |जैसे तैसे सब्जी ली और घर की ओर चल दी |मन ही मन सोचती जा रही थी मैं भी
कितनी लापरवाह हूँ दूसरों की गलतिया खोजती रहती हूँ पर मैं भी उतनी ही लापरवाह हूँ
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आशा
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