कितने रंग जीवन में बिखरे
कहाँ से आए जिन्दगी के रंग
देखने को
मिले इस जहां मे |
कोई रंग कैसा कहाँ ठहरा
या लहराया जाने कहाँ |
जो रंग मन को भाया
पहले पास नजर आया
जब पास जाना चाहा
और दूर होता गया |
मन को ठेस लगी दूरी देख
पर मन को समझाया
हर वह वस्तु जरूरी नहीं कि मिले
यदि बिना कष्ट मिल जाएगी
कितना आनंद आएगा यह भी मालूम नहीं|
यही रंग जीवन में जब दिखाई देगा
अदभुद नजारा होगा जब
रंग दिखाई देगा चारो ओर
लोग जानना चाहेगे यह प्राप्ति कैसे हुई
बताने का आनन्द कुछ और ही होगा |
आशा सक्सेना
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