अमृत कलश

Wednesday, March 30, 2022

जब वह अपनी ही छाया से डरा

 

जब वह अपनी ही छाया से डरा –

वह टी .वी बहुत देखता था |उसे क्रिमनल शो देखना बहुत पसंद थे |सब मना भी करते थे

कुछ अच्छा देखा करो |पर जितना उसे मना किया जाता वह वही करता था |मनमानी करता था |एक दिन जब सोने के लिए अपने बिस्तर पर गया अचानक अजीब सी आवाज उसे सुनाई दी |उसने सोचा यह उसके मन का भ्रम तो नहीं ?|पर जब वही आवाज फिर सुनाई दी वह दरवाजे की ओर लपका |वह तो ठीक से बंद था |फिर वह खिड़की के पास जा खडा हुआ |अँधेरे में कुछ चलता प्रतीत हुआ |पेड़ की टहनियां जोर से हिलने लगीं और उसे  उनका अक्स भी दिखने लगा फिल्मी चित्रों की तरह |अब उसे पक्का विश्वास हो गया , जरूर कोई है जो इसी रास्ते से उसके कमरे में आना चाहता था |फिरसे वही आवाज उसके कानों में गूंजने लगी और वह इतना भयभीत ही गया कि रात भर सो न पाया|तभी कहा जाता है कि जब कोई सलाह दे उस पर ध्यान अवश्य देना चाहिए |

आशा

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