एक हादसा होते होते बचा-
बात बहुत पुरानी है एक दिन रोज की तरह
हम तैरने निकले |हम से ज्यादा बच्चे उत्साहित थे| वे अभी थोड़ा थोड़ा ही सीखे
थे| पर उन्हें बहुत भरोसा था खुद पर |रोज की तरह हम कपड़े बदल कर तरणताल में पानी
में उतरे बच्चों ने भी तैरना प्रारम्भ किया जैसे ही सात फिट पानी में क्रोस करने
लगे मेरी छोटी बहन के छोटे बेटे ने हाथ पैर चलाना बंद कर दिये और मम्मी को आवाज
देने लगा |वह भी बहुत घबरा गई और उसे पकड़ने
को पलटी |वह इतना डर गया था कि उससे लिपट
गया|दोनो डुबकी खाने लगे | मेरी छोटी बेटी ने कूदने के लिएबनी सीडियों के ऊपर से यह दृश्य देखा और उनको बचाने पहुंची |वे
उससे ऐसा लिपटे कि वह भी घबरा गई अब तीनों आपस में लिपटने लगे और मेरे पीछे से
मेरी शर्ट पकडली |मुझे इस बात की तो खबर ही नहीं थी कि इतना बजन कैसे हो गया मेरे
पीछे | मेरी तैराकी में बाधा पड़ने लगी और मैं सीधी हो गई यही अच्छा था कि सीड़ी से
हाथ भर की दूरी थी |मैंने अपनी विध्यार्थी रौनक को आवाज दी कि मेरा हाथ पकड़ कर
खींचे |तभी एक बंबई से आई महिला ने यह नजारा देखा|वह बहुत अच्छी तैराक थी|उसने पानी में उतर कर सब
को एक एक
पीठ पर थप्पड़ लगाया और सब को अलग अलग किया |मेरी तो उस दिन बापिस पानी में
उतरने की हिम्मत ही नहीं हुई |पर बच्चों ने फिर से तैरना शुरू कर दिया |एक हादसा होते होते टल गया |आज भी जब उस दिन की
याद आती है मन भय से कांपने लगता है
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 03 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
धन्यवाद मेरी रचना को इस अंक में शामिल करने के लिए |
Deleteरोमांचक
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी टिप्पणी के लिए |
Deleteस्विमिंग पुल मे लाइफ गार्ड होना चाहिए ये जरूरी है । यदि बच्चे पानी मे उतर रहे है तो बड़ो को सिर्फ उन पर नजर रखना चाहिए । उन्हे किनारे किसी के देखरेख मे छोड़कर ही तैरने जाना चाहिए ।
ReplyDeleteधन्यवाद अंशुमाला जी टिप्पणी के लिए |
ReplyDeleteबहुत ही रोमांचक संस्मरण ! मुझे भी याद है उस दिन हम सबकी क्या हालत हुई थी ! मुम्बई की वह महिला देवदूत बन कर आई थी हम लोगों के लिए !
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