दहन किसका होगा
क्या दस शीश का ?
सामाजिक कुरीतियों का
जो अब तक समाप्त न हो पाईं |
रावण दहन की रीत में
हम अपने आप से हर वर्ष
कई वादे करते खुद से
कुरीतियां त्यागने
के लिए |
पर वादा पूरा करने में सफल
न हो पाते
मन में असंतोष और बढा
ले जाते
पर वादे को पूरा न कर पाते
यही कमी है खुद में तब कौन
हमारा साथ देगा |
हर कोई चाहता सच्चा मित्र
जो खुद हो अपने वादे का
पक्का
वख्त पर आकर खडा हो
गलत को नजरअंदाज न करे
गलती बताए |
बहुत सुन्दर !
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