जब हुआ समुद्र मंथन
महादेव ने
हलाहल पान किया
दी जगह विष को
अपने कंठ में |
निकले चौदह रत्न
और बहुत कुछ
अमृत से भरा
घट भी निकला
दानवों ने जिसे
झपटना चाहा |
मोहिनी एकादशी को
विष्णु ने
रूप धरा मोहिनी
घट अमृत को
छीना दानवों से
सब देवों को
अमृत पान
कराया |
दानवों से
उन्हें बचाया
देवों को अजर
अमर बनाया |
आशा
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