नींद खुलते ही
स्वप्न कहीं खो जाते हैं |हलकी सी यादें मस्तिष्क में रह जाती हैं |बार बार मन को
कचोटती हैं |कभी लगता है क्या कोई हादसा सर उठाए खड़ा है?
या कोई शुभ सन्देश
मिलने वाला है |मन की शान्ति भंग हो जाती है |क्या इसका कोई हल है ?किस से पूंछा
जाए सोच नहीं पाती |कभी यह मन का बहम नजर आता है |मन बेचैन होने लगता है| स्वप्नों से मन को भय कैसा ?
आशा
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