श्री महाकाल बाबा की अंतिम सबारी :-
महाकाल मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है |
प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में व् आधे भादों में हर सोमवार को भगवान महाकाल अपने भक्तों के हालचाल जानने के लिए नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं |इस हेतु वे विभिद रूप धारण करते हैं |
उनकी सवारी पालकी में निकाली जाती है |सबसे पहले गार्ड ऑफ़ ऑनर पुलिस गार्ड देते हैं प्रशासन प्रमुख पूजन करते हैं |पूजन स्थल पर भी अपार भीड़ हो जाती है |भजन मंडलियाँ साथ गाती बजाती चलती हैं |
विभिन्न अखाड़े अपने करतब दिखाते चलते हैं |
बड़े धूमधाम से सवारी प्रमुख मार्गों से गुजराती है और शिप्रा तट तक जाती है |कहा जाता है कि इस समय भगवान महाकाल मंदिर में नहीं होते |जब सवारी बापिस आजाती है तब पुन: प्राणप्रतिष्ठा की जाती है |
बचपन से ही मैंने सवारी देखी है |पर तब के सवारी के रूप में बहुत परिवर्तन हुए हैं |तब इतनी भीड़ नहीं होती थी सरलता से दर्शन सुलभ थे |पर अब इतनी भीड़ होती है कि बेचारे वृद्ध और बच्चे तो बहुत परेशान हो जाते हैं |तब भी आस्थावान लोग दर्शनार्थ जाते अवश्य हैं |
अंतिम सवारी पर स्थानीय अवकाश रहता है | चाहे कितनी भी कठिनाई आये इस दर्शन का आनंद ही कुछ और होता है |अपार शान्ति का अनुभव होता है |
दूर दूर से लोग सवारी देखने आते हैं |
बच्चे खिलौनों ,पीपड़ी गुब्बारों का आनंद उठाते हैं |पर फर्क आज देखने को मिलता है |पहले खिलोने मिट्टी के बिकते थी अब नहीं |
आशा
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