मुझे किसी से क्या चाहिए
शिकायत किससे करू
कोई नहीं सुनता मेरी
हार थक कर आई हूँ
इधर उधर क्षमा मांगी |
किसी ने सहारा न दिया मुझे
अब तक बेसहारा घूम रही हूँ
किसी से सहारे के लिए |
मैंने की अपेक्षा सबसे अधिक ही
क्या यही थी भूल मेरी
यदि सहारा न दिया दूसरों ने
फिर से क्यों लौटी उन तक |
अपनी आदत न थी कभी
किसी से सहारा लेने की
पर अब समझ लिया है
अपने आपको सक्षम बना लेने की |
अपनी आदतों में सुधार करना
चाहा
कोशिश भी की है
मन का भय भी
समाप्त न हो पाया आज तक |
मन को संयत किया है
फिर भी अभी तक
अपने ऊपर विशवास न हो पाया
अपने कदम बढ़ाने में
किसी का सहारा तो चाहिए |
ऊपर वाले का सहारा ही सबसे बड़ा सहारा है, और उसके लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं, बस अपने दिल में झाँकने की ज़रूरत है
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