कांच की स्त्री –
महिलाओं को प्राचीन काल से ही बहुत नाजुक माना जाता रहा है |उन्हें कौमलांगी और नजाकत की धरोहर समझा जाता था |पर जैसे जैसे समय में परिवर्तम आया उनने सभी क्षेत्रों में अपने हाथों को अजमाया और सफल हो कर दिखलाया | उन्हों ने यह सिद्ध कर दिया कि वे किसीसे कम नहीं | यह जरूर है कि उनमें पुरुषों की तरह शारीतिक शक्ति नहीं पर दिमाग अधिक सक्षम है जिसकी सझायता से वे कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से संपन्न कर लेती हैं |वे कांच की तरह सख्त और मजबूत होती हैं पर भावुक भी|कच्चे कांच की तरह भावुक होने के कारण टूट कर बिखर जाती हैं जब कोई उनके मन को ठेस पहुंचाता है जैसे कि कांच के गिर जाने से टूट कर बिखर जाना और किरच हो जाना |
आशा
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