अमृत कलश

Wednesday, April 24, 2019

एक कहानी तुलसी की




एक कहानी तुलसी की

एक गाँव में तुलसी नाम की एक महिला रहती थी | वह रोज अपने आँगन में लगी तुलसी पर जल चढ़ाती थी |
जब वह पूजन करती थी तब वह भगवान से प्रार्थना करती थी कि यदि वह मरे तब उसे भगवान विष्णु का
कन्धा मिले |

एक रात वह अचानक चल बसी | आसपास के सभी लोग एकत्र हो कर उसे चक्रतीर्थ ले जाने की तैयारी
करने लगे | जब उसकी अर्थी तैयार की जा रही थी लागों ने पाया कि उसे उठाना असम्भव है | वह पत्थर
की  तरह भारी हो गई थी |
उधर विष्णु लोक में जोर जोर से घंटे बजने लगे | उस समय विष्णु जी शेष शैया पर विश्राम कर रहे थे |
लक्ष्मीजी उनके पैर दबा रहीं थीं | घंटों की आवाज से विष्णु जी विचलित हो उठे | लक्ष्मी जी ने परेशानी का
कारण जानना चाहा | भगवान ने कहा मुझे मेरा कोई भक्त बुला रहा है |मुझे अभी वहाँ जाना होगा |
हरी ने एक बालक का रूप धरा व वहाँ जा पहुँचे | वहाँ जा कर उसे अपना कन्धा दिया |जैसे ही भगबान आशा का स्पर्श हुआ अर्थी एकदम हल्की हो गयी और महिला की मुक्ति हो गई |

Friday, April 19, 2019

एक घटना जो याद आई




आज अचानक बहुत पुरानी याद ताजा हो गयी है |सोचा आप लोगों से शेअर कर लिया जाए |मेरे पिता जी का ऑपरेशन होना था |वे बहुत बीमार थे |मामा जी भी आये हुए थे |सब ने निश्चय किया कि गुना में सर्जन अच्छे हैं वहीं पर ऑपरेशन करवाना ठीक रहेगा |गुना में सिविल अस्पताल में भरती करवाया और स्पेशल वार्ड में भरती करवा दिया |
          पास के वार्ड में एक गाँव वाले भरती थे |वहां तो आनेजाने वालों का मेला लगा हुआ था |कुछ लोग बाहर बैठ कर ताश खेल रहे थे |
                एका एक जोर जोर से रोने की आवाज आई | कोतुहल वश अम्मा और मामा जी बाहर आये |वहाँ का दृश्य अवर्णनीय था |अपने कक्ष में आ कर दोनो जोर जोर से हंसने लगे |हंसत हुए कह रहे थे "जेई अच्छी हुई बिन के कारण अपन मिल तो लये ,न जाने कब मिलना होता "|
बाबूजी को गुस्सा आया बोले "मेरी तो तबियत खराब है और तुम लोगों को मजाक सूझ रहा है |धीरे से मामा जी ने कहा चलिए ज़रा बाहर तो देखिये |
            बाहर अभीतक वही माहोल थी महिलाएं आपस में गले मिल कर पूरी ताकत लगा कर रो रहीं थीं और कहती जा रहीं थीं जेई बहाने हम मिल तो लये |बाबूजी भी बिना हँसे न रह सके |

आशा