अमृत कलश

Sunday, November 20, 2022

झरना एक चित्र कार का


 एक दिन एक चित्रकार घर में रहते रहते बहुत बोर हो रहा था |उसने सोचा क्यूँ न मैं जंगल में जाऊं और ऊपर जा कर झरने के पास बैठूं वही से इस झरने की रंगीन स्केच बनाऊँ |धीरे  से उसने अपनी  मम्मीं से पूंछा  वहां जाने के लिए |झरना घर से अधिक दूर नहीं था |मम्मीं ने हिदायतें दे कर जाने की इजाजत दे दी | उसने अपना सामान संचित कर जूते पहन कर झरने के उद्गम स्थल पर जाने की तैयारी करली और बड़े उत्साह से खाने के लिए थोड़ा नाश्ता ले लिया और प्रस्थान किया |

थोड़ी चढ़ाई के बाद कुछ समय विश्राम किया और फिर से चलने को तैयार हुआ |लगभग आधे घंटे के बाद ऊपर पहुंचा |उस समय सूर्य की रौशनी झरने में दिखाई पड़ रही थी |रश्मियाँ पानी में आपस में  खेल रहीं थीं |नजारा बहुत  सुन्दर दिख रहा था |उसने अपना केनवास स्टेंड पर लगाया और चित्र बनाया |सोचा घर  जाकर ही रंग भरूगा |सब सामान इकठ्ठा किया और नीचे चल दिया |झरना इतनी  तेजी से बह रहा था कि वहां से उठने का मन ही नहीं हो रहा था |फिर देर हो रही थी उसने  जल्दी से  कदम बढ़ाए और कुछ ही समय में घर पहुँच कर सांस ली |अब वह  रंगों से अपनी कृति को सजाने लगा |चित्र बेहद सुन्दर बना था |सब ने बहुत प्रशंसा की |

आशा सक्सेना 

Saturday, November 19, 2022

किस से शिकायत करूं

 


मुझे किसी से क्या चाहिए

शिकायत किससे करू

कोई नहीं सुनता मेरी

 हार थक कर आई हूँ

इधर उधर क्षमा मांगी |

किसी ने  सहारा न  दिया मुझे

 अब तक बेसहारा घूम रही हूँ

किसी से सहारे के लिए |

मैंने की अपेक्षा सबसे  अधिक ही

क्या यही थी भूल मेरी

यदि सहारा न दिया दूसरों ने

फिर से क्यों लौटी उन तक |

अपनी आदत न थी कभी

किसी से सहारा लेने की

पर अब समझ लिया है

 अपने आपको  सक्षम बना लेने की  |

अपनी आदतों में सुधार करना चाहा

कोशिश भी की है

 मन का भय भी

समाप्त न हो पाया आज तक |

मन को  संयत किया है

फिर भी अभी तक

 अपने ऊपर विशवास न हो पाया

अपने कदम बढ़ाने में

किसी का सहारा तो चाहिए |

Friday, November 18, 2022

बहुत दिन पहले



जब भी गाँव जाते थे अपने दो मंजिले मकान में ही ठहरते थे |बहुत पुरानी बात है हमारा मकान ऐसा था  कि जब भी ड्राइंग रूम में जाना पड़ता था बाक़ी कमरों से जीने पर से वहां पहुंचना पड़ता था| | बाबूजी रेडिओ पर कोई प्रोग्राम सुनने के लिए वहां ही जाते थे |एक दिन जब सरोजनी नाईदू पर कोई प्रोग्राम आया वे उसे सुनने के लिए उस कमरे में चले गए |भीतर के कमरे में हम दौनों भाई बहिन किसी बात पर आपस में झगड़ने लगे |यह तक भूले कि हम कहाँ थे |आपस में गुत्थमगुत्था   होने लगी  और बात इतनी बढ़ी  कि मेरे भाई ने मुझे जीने पर से धक्का दे दिया पर वह  भी न बच  पाया  उसका मेरे ऊपर गिरना हुआ |उसका  भी मेरे ऊपर से  गिरने के कारण मेरे खून निकलने लगा | सब बहुत घबराए और जल्दी से सामने के अस्पताल में  ले कर भागे |वहां टाँके लगवाए तब जान में जान आई |उस समय दोनो के एकसाथ रोने से  कोहराम मच गया था |तब बाबूजी ने कसम खाई कि जब तक वहाँ रहेंगे नीचे के मकान में ही रहेंगे  | और दूसरे दिन से मकान की खोज बहुत मुस्तैदी से होने लगी | अब तो जब भी कोई आता और मकान की बात चलती बाबूजी उन्हें नीचे के मकान में रहने की सलाह देते |कहते छोटे बच्चों के साथ ऊपर की मंजिल में नहीं रहना चाहिए |

आशा सक्सेना

Tuesday, November 1, 2022

माँऔर बच्चे का सम्बन्ध

 


जब बच्चा बहुत छोता होता  हैं माँ हर बात में रोकती टोकती है |पर धीरे धीरे कब बच्चा बड़ा  हो जाता है बच्चे को  बहुत अजीब सा लगाने लगता है |अगर उसे ऑफिस में देर हो जाए तब भी माँ उसे टोकती है इतनी देर कहाँ हो गई |समय की कीमत समझो समय पर आया जाया करो |नियमित जीवन बहुत उपयोगी होता है |सभी कार्य यदि समय से करोगे कभी समय की कमीं नहीं पड़ेगी |हम भी नौकरी करते थे पर सारे काम समय पर होते थे |बच्चा सोचता है” मैं कब बड़ा होऊंगा माँ की नज़रों में “|पर एक अदि दिन तो टोका टोकी नहीं होती पर फिर से माँ का टोकने का क्रम शुरू हो जाता है |इस आदत में बदलाव कैसे आए ?क्या मैं गलत हूँ ?मुझे सलाह चाहिए आपसे |

              आशा सक्सेना