अमृत कलश

Wednesday, October 19, 2022

प्यार की चर्चा |

 


प्यार की चर्चा

प्यार की चर्चा कीजिए पर समय देख कर| समय की नजाकत का बड़ा महत्त्व है |यदि समय का ध्यान न रखा तब कुछ गलत भी हो सकता है |

मानो किसी के यहाँ कोई दुर्घटना हुई है और आपस में किसी के प्रेम  प्रसंग की वहां कोई बात  कर रहे हैं तब कितना अजीब लगेगा |लोग सुनेगे और मजा भी लेंगे पर आपका मुंह पलटते ही आपकी हंसी भी उडाएंगे |क्यों कि समाज में रहकर अपनी आदतों को बदलना पड़ता है  |हमें समाज के नियमों का पालन करना होता है |तभी हम सफल नागरिक हो सकते है |

आशा सक्सेना 

प्यार की चर्चा

 

प्यार की चर्चा

प्यार की चर्चा कीजिए पर समय देख कर| समय की नजाकत का बड़ा महत्त्व है |यदि समय का ध्यान न रखा तब कुछ गलत भी हो सकता है |

मानो किसी के यहाँ कोई दुर्घटना हुई है और आपस में किसी के प्रेम  प्रसंग की वहां कोई बात  कर रहे हैं तब कितना अजीब लगेगा |लोग सुनेगे और मजा भी लेंगे पर आपका मुंह पलटते ही आपकी हंसी भी उडाएंगे |क्यों कि समाज में रहकर अपनी आदतों को बदलना पड़ता है |हमें समाज के नियमों का पालन करना होता है |तभी हम सफल नागरिक हो सकते है |

Monday, October 17, 2022

दो सहेलियां

 

दो सहेलीयां

बेला और चमेली नाम की दो बालिका थीं जो आपस में बहुत प्रेम  रखतीं थी एक दिन बेला के पापा उसके लिए एक सुन्दर सा फ्रोक लाए |वह  पहिन कर अपनी सहेली को दिखाने आई |चमेली के पापा की आर्थिक स्थिती तब अच्छी नहीं थी |उस  ड्रेस को  देख चमेली की आँखों में आंसू आ गए |

बेला ने कहा  लो तुम यह पहन लो तुम पर खूब सजेगी |चमेली ने उसे ले लिया पर जब पहना उसको शर्म  आई और बोली मेरे पापा कल ऐसी ही फ्रोक मुझे ला कर देंगे |किसी की कोई वस्तु देख कर उससे नहीं लेनी चाहिए |दुनिया मैं कितनी ही वस्तुएँ  हैं |हर व्यक्ति तो सब को खरीद नहीं सकता |पिता ने शांति से अपनी बेटी को समझाया |वह समझी और अपने पापा से किसी की कोई चीज न लेने का वायदा किया | अब उसका मन किसी चीज को देख कर नहीं ललचाता |उसे जो उसके पास है उसमें ही संतुष्ट है|

आशा सक्सेना

Tuesday, October 4, 2022

दशहरा बचपन का

 

दहन किसका होगा

क्या  दस शीश का ?

सामाजिक कुरीतियों का

जो अब तक समाप्त  न हो पाईं |

रावण दहन की रीत में

हम अपने  आप से हर वर्ष

कई वादे  करते खुद से

कुरीतियां  त्यागने  के  लिए |

पर वादा पूरा करने में सफल न हो पाते

मन में असंतोष और बढा ले  जाते

पर वादे को पूरा न कर पाते

यही कमी है खुद में तब कौन हमारा साथ देगा |

हर कोई चाहता सच्चा मित्र

जो खुद हो अपने वादे का पक्का

वख्त पर आकर खडा हो

गलत को नजरअंदाज न करे

गलती बताए |