अमृत कलश

Wednesday, November 8, 2023

रंग ही रंग

१-सारी दुनिया 

रंगा रंग  हुई है 

कितनी प्यारी 

२-रगों की रात 

सज रही है कहीं 

देखो तो ज़रा  

३-रंग ही रंग 

बिखरे यहाँ वहां 

उसने देखा 

 ४- पांच  रंग हैं 

आसमान में सजे 

दो गौण रहे 

५-होली के रंग 

सजाए हैं  थाली में 

कान्हां को रंगा 


आशा सक्सेना 


कितने रंग जीवन में बिखरे

 

कितने रंग जीवन में बिखरे

कहाँ से आए जिन्दगी के रंग

 देखने को मिले इस जहां मे |

कोई रंग कैसा कहाँ  ठहरा

या लहराया जाने कहाँ |

जो रंग मन को भाया

पहले पास नजर आया

जब पास जाना चाहा

और दूर होता गया |

मन को ठेस लगी दूरी देख

पर मन को समझाया

हर वह वस्तु जरूरी नहीं  कि मिले

यदि बिना कष्ट मिल जाएगी

कितना आनंद आएगा यह भी  मालूम नहीं|

यही रंग जीवन में जब  दिखाई देगा

अदभुद नजारा होगा जब

 रंग दिखाई देगा चारो ओर  

लोग जानना चाहेगे यह प्राप्ति कैसे हुई 

बताने का  आनन्द कुछ और ही होगा |

आशा सक्सेना