अमृत कलश

Friday, April 9, 2021

समय के साथ चलो

समय के साथ चलो

जिसने समय को मुठ्ठी में पकड़ना चाहा वह उसके पीछे भागा |पर सफल न हो पाया |समय ने उसे कभी आगे दौड़ाया कभी लौट जाने को कहा |पर उसकी चाहत थी समय को पकड़ कर बांधने की | सारे प्रयत्न असफल रहे |उसने रेत पर धूप को फैले देखा मुठ्ठी में कस कर बंद किया |सोचा समय भी पकड़ में आया है अब कहाँ जाएगा भाग कर |पर न जाने कैसे मुठ्ठी की पकड़ ढीली हो गई और सिक्ता कण धरती से लिपट गए |वह खाली हाथ ही रह गया |किसी  ने सच कहा है समय के साथ चलो उसे पकड़ने की कोशिश व्यर्थ है |

आशा 

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