अमृत कलश

Sunday, November 13, 2011

चाचा नेहरू

ओ अमर राष्ट्र के सेनानी
तुमको शत शत प्रणाम
हम आज मनाने आते हैं
तव वर्ष ग्रंथि यह सुख सानी
हम आज मनाते दीवाली
सद्भाव ज्योति से मन मानी |
हम आज मना त्यौहार रहे
कर निज चाचा का अभिनन्दन
हम दिखा ह्रदय का भाव रहे
कर कर के सादर पद वंदन |
यह शरद निशा भी लुटा रही
अपने आंचल से पुष्प अमल
खिल रहे सागरों के उर पर
ये पञ्चशील के सुदल कमाल |
दृढ लग्न और कर्त्तव्य दिखा
नव ज्योति जगा दी जन जन में
चाचा नेहरू के मुक्त गीत
भर गये विश्व के कण कण में |
गंगा यमुना का पावन जल
जब तक हिलोरें लेगा
यह दीप दिवा का निज प्रकाश
जब तक पृथ्वी को देगा |
यह पूर्ण चन्द्र दे प्रभा
देश में अमन क्रान्ति बिखाराएगा
श्री नेहरू अमर रहें तब तक
सदभाव देश में छाएगा |
ओ भाग्य विधाता भारत के
ओ अजय सत्य के पुन्य धाम
ओ अमर राष्ट्र के सेनानी
सादर प्रणाम शत शत प्रणाम |

1 comment:

  1. नेहरू जी को बड़ी ही भावभीनी श्रद्धांजलि दी है मम्मी ने इस कविता के माध्यम से ! वे सच्चे अर्थों में लोकनायक थे ! बाल दिवस पर उन्हें तथा देश के सभी बच्चों को ढेर सारी शुभकामनायें !

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