घेवर फेनी की ऋतुआई
रिमझिम बरस रहे है बादल
चमक चमक बिजली करती छल
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
पेड़ों को नव पात मिले हैं
बन में मोर पपीहा बोले
कुहुक कुहुक कोमल रस घोले
माता ने रस्सी मंगवाई
भैया ने पटली बनवाई
बाबूजी ले आए लहरिया
और रेशमी जम्पर बढ़िया
पड़ा आम पर झूलाप्यारा
जिस पर झूल रहा घर सारा
सखी सहेली सब जुड़ आईं
हिल मिल खूब मल्हारें गईं
सूत कात राखी बनवाई
नारियल और मिठाई लाई
पान बताशे रोली चावल
जलता दीपक रखा झिलमिल
दादा भैया सब मिल आए
बहनों को सौगातें लाए
टीका करके राखी बांधी
किया आरता साधें साधी
भाइयों से आशीषें पाईं
झोली भर मोहरें ले आईं
खुश खुश बहनें झूल रही हैं
खिली कली सी फूल रही हैं
जुग जुग जीवे प्यारे भैया
हम लें उनकी सदा बलइयां |
डा.ज्ञानवती सक्सेना "किरण"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteआपको भी राखी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
Deleteआशा
बहुत सुन्दर , प्यारी रचना..
ReplyDeleteरीना जी बहुत अच्छा लगता है जब मम्मी की कविता पर आप जैसे लोग टिप्पणी करते हैं |राखी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
Deleteआशा
बहुत ही प्यारी कविता... आप सबको रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई !!!
ReplyDeleteरुनझुन जी आपको कविता अच्छी लगी मुझे बहुत अच्छा लगा |
Deleteआशा
बहुत सुन्दर काव्यमय प्रस्तुति भाई बहन के अमित प्यार की .सखी सहेली सब जुड़ आईं
ReplyDeleteहिल मिल खूब मल्हारें गईं .कृपया "गाईं"कर लें.शुक्रिया .इस पर्व पर बहिन, भाई के अन्दर पिता का निस्स्वार्थ छाता, और भैया, माँ को ढूंढता है कहतें हैं जो भाई अपनी बहन से बहुत रागात्मक सम्बन्ध बनाए रहतें हैं उनके साथ स्नेहिल बने रहतें हैं उन्हें हार्ट अटेक नहीं पड़ता ,दिल की बीमारियों से बचाता है माँ के जाने के बाद बहन का प्यार .रक्षा बंधन मुबारक -झूमें ये सावन सुहाना ,भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ,शायद वो सावन भी आये ,जो पहले सा रंग न लाये, बहन पराये देश बसी हो ,अगर वो तुम तक पहुँच न पाए ,झूमें ये सावन सुहाना ...इस गीत की मिसरी बचपन में ले जाती है .छोटी बहन का यह गीत आज भी उतना ही मीठा लगता है जितना "चंदा मामा दूर के ,पुए पकाए बूर के ,आप खाएं प्याली में ,मुन्ने को दें ,प्याली में ..
शनिवार 04/08/2012 को आपकी यह पोस्ट पुनः http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteनई पुरानी हलचल पर इस कविता के चुनाव के लिए आभार |राखी पर शुभ कामनाएं |
Deleteआशा
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteटिप्पणी हेतु धन्यवाद सदा जी |आशा
Deleteसूचानाहेतु धन्यवाद |
ReplyDeleteआशा
राखी के अवसर पर सुन्दर रचना
ReplyDeleteटिप्पणी हेतु धन्यवाद ओंकार जी |
Deleteआशा
सॉरी जीजी ! इतनी प्यारी रचना मैं आज देख पाई ! जब इस ब्लॉग पर रचना डालती है तो मुझे लिंक भेज दिया करिये या फोन पर बता दिया करिये ! बहुत ही सुन्दर कविता है ! उस ज़माने की राखी का सम्पूर्ण शब्द चित्र खींच दिया है उन्होंने अपनी रचना में ! मम्मी की हर रचना अद्भुत होती है ! आनंद आ गया !
ReplyDeleteचलो देर से ही सही आई तो सही |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
ReplyDeleteआशा