अमृत कलश

Wednesday, August 1, 2012

राखी आई राखी आई 
घेवर फेनी की ऋतुआई 
रिमझिम बरस रहे है बादल 
चमक चमक बिजली करती छल 
रंग बिरंगे फूल खिले हैं 
पेड़ों को नव पात मिले हैं 
बन में मोर पपीहा बोले
कुहुक कुहुक कोमल रस घोले 
माता  ने रस्सी मंगवाई 
भैया ने पटली बनवाई 
बाबूजी  ले आए लहरिया 
और रेशमी जम्पर बढ़िया 
पड़ा  आम पर झूलाप्यारा 
जिस पर झूल रहा घर सारा 
सखी सहेली सब जुड़ आईं
हिल मिल खूब मल्हारें गईं 
सूत कात राखी बनवाई 
नारियल  और मिठाई लाई 
पान बताशे रोली चावल 
जलता दीपक रखा झिलमिल 
दादा भैया सब मिल आए 
बहनों को सौगातें लाए 
टीका करके राखी बांधी 
किया आरता साधें साधी
भाइयों  से आशीषें पाईं 
झोली  भर मोहरें ले आईं 
खुश खुश बहनें झूल रही हैं 
खिली कली सी फूल रही हैं 
जुग जुग जीवे  प्यारे भैया
हम लें उनकी सदा बलइयां |

डा.ज्ञानवती सक्सेना "किरण"








16 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. आपको भी राखी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
      आशा

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  2. बहुत सुन्दर , प्यारी रचना..

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    1. रीना जी बहुत अच्छा लगता है जब मम्मी की कविता पर आप जैसे लोग टिप्पणी करते हैं |राखी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
      आशा

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  3. बहुत ही प्यारी कविता... आप सबको रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई !!!

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    1. रुनझुन जी आपको कविता अच्छी लगी मुझे बहुत अच्छा लगा |
      आशा

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  4. बहुत सुन्दर काव्यमय प्रस्तुति भाई बहन के अमित प्यार की .सखी सहेली सब जुड़ आईं
    हिल मिल खूब मल्हारें गईं .कृपया "गाईं"कर लें.शुक्रिया .इस पर्व पर बहिन, भाई के अन्दर पिता का निस्स्वार्थ छाता, और भैया, माँ को ढूंढता है कहतें हैं जो भाई अपनी बहन से बहुत रागात्मक सम्बन्ध बनाए रहतें हैं उनके साथ स्नेहिल बने रहतें हैं उन्हें हार्ट अटेक नहीं पड़ता ,दिल की बीमारियों से बचाता है माँ के जाने के बाद बहन का प्यार .रक्षा बंधन मुबारक -झूमें ये सावन सुहाना ,भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ,शायद वो सावन भी आये ,जो पहले सा रंग न लाये, बहन पराये देश बसी हो ,अगर वो तुम तक पहुँच न पाए ,झूमें ये सावन सुहाना ...इस गीत की मिसरी बचपन में ले जाती है .छोटी बहन का यह गीत आज भी उतना ही मीठा लगता है जितना "चंदा मामा दूर के ,पुए पकाए बूर के ,आप खाएं प्याली में ,मुन्ने को दें ,प्याली में ..

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  5. शनिवार 04/08/2012 को आपकी यह पोस्ट पुनः http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. नई पुरानी हलचल पर इस कविता के चुनाव के लिए आभार |राखी पर शुभ कामनाएं |
      आशा

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  6. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद सदा जी |आशा

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  7. सूचानाहेतु धन्यवाद |
    आशा

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  8. राखी के अवसर पर सुन्दर रचना

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    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद ओंकार जी |
      आशा

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  9. सॉरी जीजी ! इतनी प्यारी रचना मैं आज देख पाई ! जब इस ब्लॉग पर रचना डालती है तो मुझे लिंक भेज दिया करिये या फोन पर बता दिया करिये ! बहुत ही सुन्दर कविता है ! उस ज़माने की राखी का सम्पूर्ण शब्द चित्र खींच दिया है उन्होंने अपनी रचना में ! मम्मी की हर रचना अद्भुत होती है ! आनंद आ गया !

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  10. चलो देर से ही सही आई तो सही |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
    आशा

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