बहुत पहले प्राथमिक शाला में बच्चों से अभिनय करवाया वही आज आपसे शेयर कर रही हूँ :-
पहला बालक :-हम स्वतंत्र हैं आज हमारा ही भारत पर राज
पहला बालक :-हम स्वतंत्र हैं आज हमारा ही भारत पर राज
दीप जलाओ द्वार सजाओ साजो मंगल साज
सबसे प्यारा सबसे न्यारा यह पावन त्वोहार
जनगणमन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
दूसरा बालक :- क्या संक्रांति आई हमको ले लड्डू का ढेर
शकरकंद अमरूद जलेबी खाये देर सबेर
तिल की पीठी मॉल शरीस से बने वीर सरदार |
पहला बालक:- नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार
जनगणमन अधिनायक गाओ सब मिल बारंबार
तीसरा बालक :-लाल लाल टेसू वन फूले खेत खिले सुकुमार
उतर गगन के तारे आये पृथ्वी पर इसबार
यह वसंत बन उपवन मेंले आया नईबहार
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी प्यारा यह अनोखा त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
चौथा बालक :-द्वेष ईर्ष्या को होली में भस्म करें सब लोग
बड़े प्रेम से गुजिया पपड़ी खाँयें मोहन भोग
लाल गुलाल अविर लगाएं हो रंग की भरमार |
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाएं सब मिल बारम्बार |
पांचवा बालक :-क्या यह है पड़वा जिसको बदला संवत्सर शुचिमान
अथवा नवमीं जन्म की ,माँ जन्में हनुमान
या अक्षय तृतीया आई कम करने भू भार
प्रथम बालक :-नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
छटा बालक :-क्या गंगा दशमीं आई फिर खोले ज्ञान कपाट
भागीरथ की कीर्ति कथा का हमें सुनाने ठाट
जिनके उर में भरा हुआ था निज पितरों का प्यार |
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी ज्यादा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार
सातवा बालक :- क्या आई जन्म अष्टमी ले यशुदा का लाल
या विजया आई पहनाने रघुपति को जय माल
अथवा शरद पूर्णिमा आई ले कर नव संभार |
आठवा बालक :-क्या यह दीपावली आई ले दीपों की माल
आज बिछा दें जगमग करता सब धरती पर जाल
ले अनार फुलझड़ी फटाके छोड़ें बारम्बार
नवा बालक :- समझ गया मैं देख तिरंगा लहराता यूं आज
पन्द्रह अगस्त फिर आया नया सजाओ साज
बापू की नेहरू की जय से गूंजे सब संसार |
नहीं नहीं इससे भी न्यारा है यह त्यौहार
सब बालक :-समझ नहीं पाए हम खोलो तुम्हीं बुद्धि के द्वार
उलझ रहे हम भूलभुलैया में हर बार
किसका स्वागत साज सजाता भारत का हर द्वार
पहला बालक :-यह गणतंत्र दिवस है प्यारा सुन्दर नव त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
ज्ञान वती सक्सेना 'किरण '
जनगणमन अधिनायक गाओ सब मिल बारंबार
तीसरा बालक :-लाल लाल टेसू वन फूले खेत खिले सुकुमार
उतर गगन के तारे आये पृथ्वी पर इसबार
यह वसंत बन उपवन मेंले आया नईबहार
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी प्यारा यह अनोखा त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
चौथा बालक :-द्वेष ईर्ष्या को होली में भस्म करें सब लोग
बड़े प्रेम से गुजिया पपड़ी खाँयें मोहन भोग
लाल गुलाल अविर लगाएं हो रंग की भरमार |
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाएं सब मिल बारम्बार |
पांचवा बालक :-क्या यह है पड़वा जिसको बदला संवत्सर शुचिमान
अथवा नवमीं जन्म की ,माँ जन्में हनुमान
या अक्षय तृतीया आई कम करने भू भार
प्रथम बालक :-नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
छटा बालक :-क्या गंगा दशमीं आई फिर खोले ज्ञान कपाट
भागीरथ की कीर्ति कथा का हमें सुनाने ठाट
जिनके उर में भरा हुआ था निज पितरों का प्यार |
पहला बालक :-नहीं नहीं इससे भी ज्यादा यह पावन त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार
सातवा बालक :- क्या आई जन्म अष्टमी ले यशुदा का लाल
या विजया आई पहनाने रघुपति को जय माल
अथवा शरद पूर्णिमा आई ले कर नव संभार |
आठवा बालक :-क्या यह दीपावली आई ले दीपों की माल
आज बिछा दें जगमग करता सब धरती पर जाल
ले अनार फुलझड़ी फटाके छोड़ें बारम्बार
नवा बालक :- समझ गया मैं देख तिरंगा लहराता यूं आज
पन्द्रह अगस्त फिर आया नया सजाओ साज
बापू की नेहरू की जय से गूंजे सब संसार |
नहीं नहीं इससे भी न्यारा है यह त्यौहार
सब बालक :-समझ नहीं पाए हम खोलो तुम्हीं बुद्धि के द्वार
उलझ रहे हम भूलभुलैया में हर बार
किसका स्वागत साज सजाता भारत का हर द्वार
पहला बालक :-यह गणतंत्र दिवस है प्यारा सुन्दर नव त्यौहार
जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
ज्ञान वती सक्सेना 'किरण '
अरे वाह यह तो अद्भुत संयोग हो गया ! आज मैंने भी यही कविता 'उन्मना' पर डाली है ! चलो मम्मी की रचना के साथ हम दोनों ने भी गणतंत्र दिवस अच्छी तरह से मना लिया !
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