अमृत कलश

Monday, January 21, 2013

गणतंत्र दिवस (विचारों का आदान प्रदान बच्चों में )

बहुत  पहले प्राथमिक शाला में बच्चों से अभिनय करवाया वही आज आपसे शेयर कर रही हूँ :-
  
पहला बालक :-हम स्वतंत्र हैं आज हमारा ही भारत पर राज 
दीप जलाओ द्वार सजाओ साजो मंगल साज 
सबसे प्यारा सबसे न्यारा यह पावन त्वोहार 
जनगणमन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
दूसरा बालक :- क्या संक्रांति आई हमको ले लड्डू का ढेर
शकरकंद अमरूद जलेबी खाये देर सबेर
तिल की पीठी मॉल शरीस से बने वीर सरदार |
पहला बालक:-   नहीं नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार 
जनगणमन अधिनायक गाओ सब मिल बारंबार 
तीसरा बालक :-लाल लाल टेसू वन फूले खेत खिले सुकुमार 
उतर  गगन के तारे आये पृथ्वी पर इसबार 
यह  वसंत बन उपवन मेंले आया नईबहार 
पहला बालक :-नहीं  नहीं इससे भी प्यारा यह अनोखा त्यौहार
 जन गण मन  अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
चौथा बालक :-द्वेष ईर्ष्या को होली में भस्म करें सब लोग 
बड़े प्रेम से गुजिया पपड़ी खाँयें मोहन भोग 
लाल गुलाल अविर लगाएं हो रंग की भरमार |
पहला बालक :-नहीं  नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार 
जन गण मन अधिनायक गाएं सब मिल बारम्बार | 
पांचवा बालक :-क्या यह है पड़वा जिसको बदला संवत्सर शुचिमान 
अथवा नवमीं जन्म की ,माँ  जन्में हनुमान 
या  अक्षय तृतीया आई कम करने भू भार 
प्रथम बालक :-नहीं  नहीं इससे भी न्यारा यह पावन त्यौहार 
जन  गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |   

छटा बालक :-क्या गंगा दशमीं आई फिर खोले ज्ञान कपाट 
भागीरथ  की कीर्ति कथा का हमें सुनाने ठाट 
जिनके  उर में भरा हुआ था निज पितरों का प्यार |
पहला  बालक :-नहीं नहीं इससे भी ज्यादा यह पावन त्यौहार 
जन गण मन  अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार 
सातवा बालक :- क्या  आई जन्म अष्टमी ले यशुदा का लाल 
या  विजया आई पहनाने रघुपति को जय माल 
अथवा  शरद पूर्णिमा आई ले कर नव संभार |
आठवा  बालक :-क्या यह दीपावली आई ले दीपों की माल 
आज  बिछा दें जगमग करता सब धरती पर जाल 
ले अनार फुलझड़ी फटाके छोड़ें बारम्बार 
नवा  बालक :- समझ गया मैं देख तिरंगा लहराता यूं आज 
पन्द्रह  अगस्त फिर आया नया सजाओ साज 
बापू की नेहरू की जय से गूंजे सब संसार | 
नहीं नहीं इससे भी न्यारा है यह त्यौहार 
सब बालक :-समझ नहीं पाए हम खोलो तुम्हीं बुद्धि के द्वार 
उलझ  रहे हम भूलभुलैया में हर बार 
किसका  स्वागत साज सजाता भारत का हर द्वार 
पहला  बालक :-यह गणतंत्र दिवस है प्यारा सुन्दर नव त्यौहार
 जन गण मन अधिनायक गाओ सब मिल बारम्बार |
ज्ञान वती सक्सेना 'किरण '


 





1 comment:

  1. अरे वाह यह तो अद्भुत संयोग हो गया ! आज मैंने भी यही कविता 'उन्मना' पर डाली है ! चलो मम्मी की रचना के साथ हम दोनों ने भी गणतंत्र दिवस अच्छी तरह से मना लिया !

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