अमृत कलश

Sunday, May 23, 2021

कोरोना की बापिसी

 

फिर से लौक डाउन लगा| माहोल फिर दिखाई देने लगा पहले जैसा |

या युं कहूं कि पहले से भी बद्तर |  इसबार कोरोना का जोर पहले से अधिक था |आए दिन सुनाई देता था यह गया वह गया| पूरे अखवार और न्यूज भरे  रहते कोरोना से  |

अब लोग भी पहले से अधिक सतर्क थे |सारे नियम पाल पाल कर थक गए लोग और भी भयभीत हो गए |जब अपना कोई जाता है क्या महसूस होता है ?यह तो वही जानते  उन पर क्या बीती जिनने उसे भोगा | पूरे पूरे धर भेट हो गए  इस महामारी के |

रोज कमाने खाने वालों का तो बुरा हाल हुआ है |दो समय की रोटी भी नसीब नहीं होती | इस का कोई हल यदि नहीं निकला हालात बिगड़ते

जाएंगे |बेरोजगारी बढ़ेगी |अब तीसरी पारी कोरोना की सही न जा सकेगी|

आशा

 

 

No comments:

Post a Comment