अमृत कलश

Friday, April 15, 2022

काम वाली बाई

 

राधा आज बहुत उदास थी |किसी ने कुछ अनर्गल कह दिया था| कोई हरकत की थी |मेरे कारण पूंछने पर वह फफक कर रोने लगी |उसको मुंह धोने को कहा जब थोड़ी शांत हुई उसने मुझे जो बात बताई मैं सुनकर हैरान रह गई अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ इंसान इतना गिर सकता है कभी कल्पना भी न थी |राधा ने किसी की दी हुई शर्त पहन रखी थी जिसका गला आवश्यकता से अधिक बड़ा था |राह चलते एक व्यक्ति ने अनर्गल ताना दिया और जान बूझ कर

उससे जा टकराया |बोला अरे  वाह क्या मलाई जैसा बदन है काश तुम मेरी होतीं |उसे इस बात की भी शर्म नहीं आई कि राधा दो  बच्चों की माँ थी |राधा को उसकी नीयत में खोट दिखा |वह लगभग दोड़ती हुई हमारे घर में घुस गई और जैसे तैसे उस गंदी नजर वाले से बच  पाई |मुझे इस बात की हैरानी होती है कि जैसा जिसने दिया होता है वही कपड़ा

तन छिपाने के लिए पर्याप्त नहीं होता क्या ?

लोगों की सोच कितनी ओछी होती है |निगा्हें कितनी मैली होती हैं कि हर गलत जगह पर जा कर ही टिक जातीं हैं |

आशा

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