अमृत कलश

Saturday, April 9, 2022

उसका भविष्य क्या होगा ?


 


उसने एक लोअर मिडिल क्लास परिवार में जन्म लिया था |साथ लाई थी अपने से छोटे

चार भाई बहिनों को |बचपन से ही सुनती आई थी ,तुम बड़ी हो तुम्हें ही सब का ध्यान रखना होगा |जब दस साल की हुई उसके पिताजी का एक्सीडेंट हो गया तब वे लगभग एक वर्ष बिस्तर पर पड़े रहे |जैसे तैसे माँ ने घर को सम्हाला खेती में काम करके |बाद में उनकी केंसर से मृत्यु हो गई

तेरह वर्ष की होते ही स्नेहा के लिए रिश्ते आने लगे |पर धन के अभाव में यह भी संभव न हो सका |एक व्यक्ति ने सलाह दी

क्यों न दूसरी जात में रिश्ता खोजा जाए |इसमें धन भी नहीं लगेगा और स्नेहा की

शादी भी हो जाएगी | जैसे तैसे एक रिश्ता आया |लड़का उम्र में उससे पन्द्रह साल बड़ा था |पर माँ ने उसे समझाया आदमीं की उम्र नहीं देखी जाती उसका परिवार देखा जाता है

 जब ससुराल में पहुंची उसकी हैसियत एक नौकरानी जैसी हो गई  दिन भर काम करती और बार बार ताने सुनती |कभी हाथ भी उठ जाते वह  रोकर रह जाती |पर सहनशक्ति

जबाब देने लगी |एक दिन आधी रात में घर के बाहर निकाल दिया |वह  कहाँ जाती दो छोटे बच्चों को ले कर |रात तो स्टेशन पर गुजार दी |दूसरे दिन एक गाड़ी में बैठ चल दी बिना टिकिट के |दो स्टेशन के बाद जब

टी .टी. आया उसे उतार दिया अगले स्टेशन पर |इतफाक से एक परिचित मिल गए |वे बापिस ससुराल में छोड़ गए |फिर यही किस्सा दोहराया गया, पर तब बच्चे साथ न थे | वह अपने मायके आ गई | वह दूसरों के घर काम करने लगी |लोगों ने मध्यस्तता की उसे बच्चे मिल गए पर बाद में उसका पति भी आगया पर कोई काम नहीं किया |

पर वह इतने से ही संतुष्ट होगी  |उसमें इतना आत्मविश्वास  देख बहुत अच्छा लगा

“बारह  बरस बाद तो घूरे के दिन भी फिर जाते हैं”कहावत चरितार्थ हुई है |

आशा

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