अमृत कलश

Wednesday, January 31, 2024

इधर उधर झांकते ही

 

इघर उधर झांकते ही 

सारा जीवन बीत गया

यूँही इधर उधर झांकते

कोई हल नहीं निकला

इन सारी हरकतों का |

बेमतलब की तांका झाकी

सब को रास न  आती

मन को जब रास न आए

जिन्दगी ही रूठ जाए |

सही राह मिलते ही

जीवन सही पटरी पर

जाने के लिए अपना मन बनाए

जल्दी से अपने कदम बढाए |

आशा सक्सेना 

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