इघर उधर झांकते ही
सारा
जीवन बीत गया
यूँही
इधर उधर झांकते
कोई हल
नहीं निकला
इन सारी
हरकतों का |
बेमतलब
की तांका झाकी
सब को
रास न आती
मन को जब
रास न आए
जिन्दगी
ही रूठ जाए |
सही राह
मिलते ही
जीवन सही
पटरी पर
जाने के
लिए अपना मन बनाए
जल्दी से
अपने कदम बढाए |
आशा सक्सेना
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