है गुजारिश तुम से
तुमने यह सब सीखा
कब कहाँ कैसे किससे
मुझे भी बताओ सिखाओ |
तुमने मुझसे क्यूँ
यह राज छिपाया
क्या मैं इस योग्य नहीं
तुम से कुछ सीख न पाऊँगी |
पहले बताया होता
मैं अपना अभ्यास जारी रखती
तुमको समाज में शर्म न आती
मैं भी उस सुख से वंचित न रहती |
आशा सक्सेना
No comments:
Post a Comment