अमृत कलश

Friday, February 2, 2024

है एक गुजारिश

 


है गुजारिश  तुम से

तुमने यह सब सीखा

कब कहाँ कैसे किससे

मुझे भी बताओ सिखाओ |

तुमने मुझसे क्यूँ

 यह राज छिपाया

क्या मैं इस योग्य नहीं

तुम से कुछ सीख न पाऊँगी |

पहले बताया होता

मैं अपना अभ्यास जारी रखती

तुमको समाज में शर्म न आती

मैं भी उस सुख से वंचित न रहती |

आशा सक्सेना 

No comments:

Post a Comment