"मुझे बता दे जीजी रानी
उगता चन्दा लाल क्यूँ ?
और देवता होने पर भी
पड़ा काल के गाल क्यूँ ?"
"इस चन्दा ने चकवी की
आशा का रक्त पिया बहना ,
इस चन्दा ने कमल पुष्प की
सुषमा को छीना बहना |
इस चन्दा ने विकल चकोरी की
अग्नि का दान किया ,
इस चन्दा ने निज सुंदरता
पर भी था अभिमान किया |
इसी पाप से इसी शाप से
यह चन्दा है लाल री
और इसी कारण पड़ना भी
पड़ा काल के गाल री |"
"मुझे बता दे जीजी रानी
है काला काला क्या इसमें ?
पूरा कभी, कभी है आधा
यह होता है क्या इसमें ?"
"निज वैभव पर इतरा इसने
संध्या का अपमान किया ,
वह मुस्काई इसे देख तो
नयन बिंदु ही चुरा लिया |
और उषा संग आँख मिचौली
खेल खेलने को आया
आधा कपड़ा बाँध आँख से
उसने थोड़ा उकसाया |
संध्या की वह पुतली इस पर
काला धब्बा लाई थी
आधा पूरा इसे बनाती
इसी खेल की दाईं री |"
किरण
उगता चन्दा लाल क्यूँ ?
और देवता होने पर भी
पड़ा काल के गाल क्यूँ ?"
"इस चन्दा ने चकवी की
आशा का रक्त पिया बहना ,
इस चन्दा ने कमल पुष्प की
सुषमा को छीना बहना |
इस चन्दा ने विकल चकोरी की
अग्नि का दान किया ,
इस चन्दा ने निज सुंदरता
पर भी था अभिमान किया |
इसी पाप से इसी शाप से
यह चन्दा है लाल री
और इसी कारण पड़ना भी
पड़ा काल के गाल री |"
"मुझे बता दे जीजी रानी
है काला काला क्या इसमें ?
पूरा कभी, कभी है आधा
यह होता है क्या इसमें ?"
"निज वैभव पर इतरा इसने
संध्या का अपमान किया ,
वह मुस्काई इसे देख तो
नयन बिंदु ही चुरा लिया |
और उषा संग आँख मिचौली
खेल खेलने को आया
आधा कपड़ा बाँध आँख से
उसने थोड़ा उकसाया |
संध्या की वह पुतली इस पर
काला धब्बा लाई थी
आधा पूरा इसे बनाती
इसी खेल की दाईं री |"
किरण
बहुत प्यारी कविता है ! इसे पढ़ कर बहुत सारे बच्चों के मन में उठते सवालों को उनके जवाब मिल जायेंगे ! बचपन के वे दिन याद आ गये जब मम्मी स्वयं गाकर यह कविता हम लोगों को सुनाया करती थीं ! कितने अच्छे दिन थे वे ! आनंद आ गया पढ़ कर !
ReplyDeleteवाह वाह बहुत ही सुन्दर बाल कविता बिल्कुल बच्चो के मन जैसी।
ReplyDeletebahut sundar, maan ka yah roop bhi bahut sundar laga. tabhi virasat men apane grahan kiya. isa naye blog ke liye badhai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रश्न भी और उत्तर भी ...
ReplyDeleteबाल मन की बहुत ही सुंदर झांकी.......माँ किरण की अनुपम रचनाओं से सजी ये ब्लाग बहुत ही मनभावन है।
ReplyDeleteवन्दना जी इस ब्लॉग पर आ कर इस कार्य में सहयोग देने के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा
रेखा जी आप ब्लॉग पर आईं बहुत आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
ReplyDeleteआशा
संगीता जी आपको इस ब्लॉग पर देख कर जो प्रसन्नता हो रही है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें|
ReplyDeleteआशा
सत्यम जी ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
ReplyDeleteआशा
साधना ,तुम्हारा यत्न और ब्लॉग प्रमोट करना बहुत अच्छा लगा बधाई |इसी प्रकार सहायता करती रहोगी ऐसी आशा हैं |
ReplyDeleteआशा
स्वागत है...हम तो आपको हमेशा पढ़ते आये हैं...यह प्रयास बहुत पसंद आया....अनेक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteसुन्दर बाल कविता.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बाल कविता
ReplyDeleteऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥
समीर जी ,
ReplyDeleteयह ब्लॉग आपको कैसा लगा |अपनी राय दे कर प्रोत्साहित करें |
आशा
संजय और कुसुमेश जी ,आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeleteआशा
बहुत ख़ूबसूरत और प्यारी बाल कविता! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!
ReplyDeleteबबली जी ,इस ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखिये
ReplyDeleteआशा