अमृत कलश

Wednesday, July 27, 2011

मुझे बतादे जीजी रानी

नन्हे बच्चे की बाल सुलभ जिज्ञासा जनित प्रश्न और उसकी विदुषी जीजी के तर्कसंगत प्रत्युत्तर में उन प्रश्नों के समाधानों का कितना सुन्दर चित्रण इस कविता में किया गया है ! इसका आनंद आप सब भी उठाइये !


"मुझे बता दे जीजी रानी
उगता चन्दा लाल क्यूँ ?
और देवता होने पर भी
पड़ा काल के गाल क्यूँ ?"
"इस चन्दा ने चकवी की
आशा का रक्त पिया बहना ,
इस चन्दा ने कमल पुष्प की
सुषमा को छीना बहना |
इस चन्दा ने विकल चकोरी की
अग्नि का दान किया ,
इस चन्दा ने निज सुंदरता
पर भी था अभिमान किया |
इसी पाप से इसी शाप से
यह चन्दा है लाल री
और इसी कारण पड़ना भी
पड़ा काल के गाल री |"
"मुझे बता दे जीजी रानी
है काला काला क्या इसमें ?
पूरा कभी, कभी है आधा
यह होता है क्या इसमें ?"
"निज वैभव पर इतरा इसने
संध्या का अपमान किया ,
वह मुस्काई इसे देख तो
नयन बिंदु ही चुरा लिया |
और उषा संग आँख मिचौली
खेल खेलने को आया
आधा कपड़ा बाँध आँख से
उसने थोड़ा उकसाया |
संध्या की वह पुतली इस पर
काला धब्बा लाई थी
आधा पूरा इसे बनाती
इसी खेल की दाईं री |"

किरण

17 comments:

  1. बहुत प्यारी कविता है ! इसे पढ़ कर बहुत सारे बच्चों के मन में उठते सवालों को उनके जवाब मिल जायेंगे ! बचपन के वे दिन याद आ गये जब मम्मी स्वयं गाकर यह कविता हम लोगों को सुनाया करती थीं ! कितने अच्छे दिन थे वे ! आनंद आ गया पढ़ कर !

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  2. वाह वाह बहुत ही सुन्दर बाल कविता बिल्कुल बच्चो के मन जैसी।

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  3. bahut sundar, maan ka yah roop bhi bahut sundar laga. tabhi virasat men apane grahan kiya. isa naye blog ke liye badhai.

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  4. बहुत सुन्दर प्रश्न भी और उत्तर भी ...

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  5. बाल मन की बहुत ही सुंदर झांकी.......माँ किरण की अनुपम रचनाओं से सजी ये ब्लाग बहुत ही मनभावन है।

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  6. वन्दना जी इस ब्लॉग पर आ कर इस कार्य में सहयोग देने के लिए आभार |
    आशा

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  7. रेखा जी आप ब्लॉग पर आईं बहुत आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
    आशा

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  8. संगीता जी आपको इस ब्लॉग पर देख कर जो प्रसन्नता हो रही है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें|
    आशा

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  9. सत्यम जी ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें |
    आशा

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  10. साधना ,तुम्हारा यत्न और ब्लॉग प्रमोट करना बहुत अच्छा लगा बधाई |इसी प्रकार सहायता करती रहोगी ऐसी आशा हैं |
    आशा

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  11. स्वागत है...हम तो आपको हमेशा पढ़ते आये हैं...यह प्रयास बहुत पसंद आया....अनेक शुभकामनाएँ.

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  12. सुन्दर बाल कविता.

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  13. बहुत ही सुन्दर बाल कविता
    ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥

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  14. समीर जी ,
    यह ब्लॉग आपको कैसा लगा |अपनी राय दे कर प्रोत्साहित करें |
    आशा

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  15. संजय और कुसुमेश जी ,आपका इस ब्लॉग पर स्वागत है |
    आशा

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  16. बहुत ख़ूबसूरत और प्यारी बाल कविता! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!

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  17. बबली जी ,इस ब्लॉग पर आने के लिए आभार |इसी प्रकार स्नेह बनाए रखिये
    आशा

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