उससे अंधियारा घबराता ,इनसे डरते काल |
वह रजनी के शांत अंक में ,पन्द्रह दिन को खो जाता
ये हर दम सचेत रहते हैं ,सुख से भी तोड़ा नाता |
वह तारों को ही प्रकाश दे ,उनका सदा बढ़ाता मान
ये भारत के हर लाल को ,स्नेह शील का देता ज्ञान |
उसका तो यश रजनी गंधा ही ,बस कहने वाली है
इनके यश की मधुर सुरभि ,इस विश्व वृक्ष की लाली है |
वह केवल शीतलता का ही ,एक शील वृत्त धारी है
पंचशील धारी सन्यासी ,इनकी महिमा न्यारी है \|
वरुण देव के शांत अंक में ,उसने संरक्षण पाया
सत्य अहिंसा के प्रतीक ,बापू का इनने संरक्षण पाया |
उन्शें देख चकवी रोती है ,कली कली शर्माती है
इन्हें देख सब प्रमुदित होते ,माँ की पुलकित छाती है |
उसमें है कलंक की छाया ,निष्कलंक कहलाते ये
वह सुर ये मानव फिर भी ,उसमें इनमें नाते हैं \
भारत माँ के पार्श्व देश में ,जो सागर है लहराता
नाम पिता का इनके ,उसकी बूँद बूँद में मिल जाता |
चाँद और मोती ही, भ्रातृ भाव यों फैलाते
एक अंक में पले बढ़े,ये सगे सहोदर कहलाते |
इस नाते से चन्दा मामा ,नेहरू जी का है चाचा
भारत के बच्चे बच्चे गाते ,जय जय नेहरू चाचा |
किरण
एक अंक में पले बढ़े,ये सगे सहोदर कहलाते |
इस नाते से चन्दा मामा ,नेहरू जी का है चाचा
भारत के बच्चे बच्चे गाते ,जय जय नेहरू चाचा |
किरण
बहुत सुंदर प्रस्तुति ....
ReplyDeleteटिप्पणी हेतु आभार |
Deleteमम्मी की कल्पना और भावभूमि सदैव विलक्षण ही होती थी ! कितना खूबसूरत लिखती थीं वे ! इस रचना को पढ़ कर मन बाग-बाग हो गया ! बहुत ही सुन्दर !
ReplyDeleteटिप्पणी हेतु धन्यवाद
DeleteKhubsurat Rachna...
ReplyDeleteटिप्पणी हेतु धन्यवाद
ReplyDelete.
ReplyDeleteआदरणीया मां'जी की रचनाएं पढ़ने का अवसर देने के लिए आपका आभार आशा अम्मा !
सादर प्रणाम !
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
-राजेन्द्र स्वर्णकार
राजेन्द्र जी टिप्पणी के लिए धन्यवाद |
ReplyDeleteआशा