अमृत कलश

Friday, March 20, 2020

पहली किश्त (भूख ,प्यास ,नीद ,आस )


पहला भाग (भूख ,प्यास ,नींद ,और आस”) –
 एक राजा था| उसके एक इकलौता बेटा था |उसे इतना प्यार सबसे मिलता था की वह बहुत जिद्दी हो गया था |राजा उसके व्यवहार से बहुत दुखी था |वह सोचता था यदि इसके व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया तब राज्य का क्या होगा |राजा ने अपने मंत्रीयों से सलाह मांगी |उन्हों ने बताया की अधिक लाड़ प्यार ने राज कुमार को बिगाड़ा है |यदि उसे अनुशासन में रखा जाए तो उसमें परिवर्तन की आशा की जा सकती है |
        एक दिन राजा ने उसे घर से निकाल दिया| नपहले तो राज कुमार बहुत परेशान हुआ पर क्या करता |धीरे धीरे जंगल की ओर चल दिया रास्ते में एक काँटा उसके पाँव में चुभ गया |वह उसे निकालने के लिए झुका |इतने  में उसने देखा चार बूढ़ी स्त्रियाँ आपस में बहस कर रहीं थी| उसने बहद का कारण जानने के लिए
प्रणाम कर उनसे पूंछा आप सब किस बात पर झगड़ रही है |पहली बोली कि झगड़ा इस बात का है कि तुमने किसे सलाम किया ?
राज कुमार बुद्धि का धनी था उसने पहली स्त्री का नाम पूंछा प्रतिउत्तर में बोली “मेरा नाम भूख  है “|
थोड़ा सोच कर राज कुमार ने कहा “भूख का क्या ?जब भूख लागे कुछ भी खा कर अपनी क्षुधा शांत की जा सकती है “|
दूसरी महिला ने अपना नाम “प्यास” बताया |राज कुमार ने जवाब दिया “जब प्यास लगे तब यह नहीं सोचा जा सकता की पानी स्वच्छ है या नहीं “
तीसरी ने अपना नाम बताया “नीद”|राज कुमार ने सर हिलाया और कहा “नीद रानी कहीं पर आ जाती हैं चाहे बिस्तर आरामदेह हो या धरती हो |
अब बारी चौथी की थी उसने बताया “मेरा नाम आस है” अपने सब के नाम तो पूंछे पर प्रश्न वहीं का वहीं रहा “आपने किसे सलाम किया”?
राज कुमार मुस्कुराया और बोला “आस रानी  मैंने तुम्हें ही  सलाम किया|जानती हो क्यों ?आस पर सारी दुनिया टिकी है”|  वे चारों देवियाँ थीं राज कुमार की परीक्षा लेने आईं थी |
उन सब ने राजकुमार को आशीष दिया और आगे बढ़ गईं |
आशा

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