किस ने कहा तुमसे हर बात
जैसी की तैसी ही मान लो |
अपनी बुद्धि कभी तो खर्च किया करो
ज्यादा नहीं तो कुछ तो लाभ हो |
केवल कानों से सुने और निकाल दें
यूँ ही आडम्बर जान यह भी ठीक नहीं |
सच्चाई नजर नहीं आती जब झूटी अपना फन फैलाती
मुस्कराहट तिरोहित हो जाती जब सचचाई समक्ष आती |
सच झूट में दूरी है बहुत कम जान लो
आँख और कान का है जितना फासला पहचान लो |
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