मन के दीप जलाओ कि आया
दीपावली का त्यौहार
यूं तो दिए बहुत जलाए पर
मन के कपाट खोल न पाए |
जीवन भर प्रकाश के लिए तरसे
अब जागो मन का तम हरो
दीप की रौशनी हो इतनी कि
तम का बहिष्कार हो |
नवचेतना का हो संचार
घर में और दर से बाहर भी
सद्भावना और सदाचार का
संचार हो आज के दूषित समाज में |
|यही सन्देश देता दीपावली का त्यौहार |
दी जाती हैं बैर भाव भूल सब को
शुभ कामनाएं दिल से
यही रहा दस्तूर इस त्यौहार का
जिसे हमने भी आगे बढाया |
आशा
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