अमृत कलश

Wednesday, November 11, 2020

यात्रा विवरण (४)

प्रातः काल प्रभु को  एक बार फिर से नमन कर अगले पड़ाव पर जाने के लिए प्रस्थान किया |अब अगला गंतव्य केदार नाथ था |केदार नाथ का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है वह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है |चार धाम में भी इसका महत्वपूर्ण  स्थान है |बद्रीनाथ से अधिक दूर नहीं है पर मार्ग बहुत दुर्गम है |हम तो अपनी वैन से जारहे थे |प्रातःकालीन दृश्य राह के इतने सुन्दर थे कि हर जगह रुकने का मन होता था| लगभग दो घंटे बाद रुक कर स्नान ध्यान किया |हमारे साथ ही राह के समकक्ष नदी कल कल करती आगे बढ़ रही थी |नदी किनारे जहां रुके वहां बहुत सुन्दर दृश्य था |मन हुआ क्यूँ न कपडे धो लिए जाएं |जल्दी से कपड़ों को निकाला और धोबीघाट लगा लिया |हवा में बहुत जल्दी वे सूख भी गए |जल्दी जल्दी खाना खाया और आगे की और रवाना हुए |

गौरी कुंड पहुंचाते शाम हो गई |हमने एक दिन वहीं रुकने का प्रोग्राम बनाया और वहां से कुंड देखने चले गए |मौसम कुछ अधिक ही ठंडा था |दूसरे दिन सुबह हम स्टेंड पर पहुंचे तब तक बहुत से लोग तो रवाना भी हो चुके थे |वहां से एक और नए अनुभव के लिए घोड़ों पर सवारी करनी थी |घोड़ो पर सवारी का भी पहला ही तजुर्वा था |वहां पहुँच कर अलग अलग घोड़ों पर सवार हुए |रास्ते में दो घंटे बाद राम चट्टी पर पर रुके वहां

नाश्ता किया |तब तक  घोड़ों ने भी आराम कर लिया |

जब पुल के इस पार ही थे हलकी बारिश प्रारम्भ होगई थी साथ में रुई के सामान बर्फ भी गिरने लगी थी |

 |सब  ने बरसाती से अपने को ढांक रखा था इस कारण गीले नहीं हुए | जाते ही दर्शन सरलता  से हो गए और जल्दी ही बापिस लौटने की जरूरत को समझ अपने अपने घोड़ों पर सवार हुए और रवाना हुए |पर इतने अधिक थके कि उस थकान को अभी भी भूल नहीं पाए हैं |जाते समय सब जोर जोर से नारे लगा रहे थे

“जय केदार नाथ की “ |जोश भरपूर था पर जब लौटे आवाज इतनी कम थी कि पास वाले भी बहुत कठिनाई से सुन पा रहे थे |

४-५ घंटे का पौनी घोड़ों का सफर कोई मजाक नहीं था |शाम होते होते हम बापिस गौरी कुंड पहुँच गए थे |पर यह यात्रा भी  यादगार  रही |जैसे ही हरिद्वार आया |होटल की राह पकड़ी |रात भर ऐसे सोए कि सुबह कब हो गई पता ही नहीं चला |सीधे स्टेशन का रुख लिया और उज्जैन के लिए रवाना होगए |

यह हुआ अंत हमारी पहली यात्रा का |

आशा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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