सब्र का फल मीठा -
ख्याल वही सब से ज्यादा रख सकता है जो सबसे अधिक प्यार करता हो |दिखावे से दूर हो |
नफरत की कोई सीमा नहीं है| यह जड़ से कभी समाप्त नहीं होती| कहीं इसके अंश छिपे रह ही जाते हैं |समय असमय उभार कर आ ही जाते है |दिल से इसे कभी मिटाया नहीं जा सकता |पर इससे दूरी बनाकर चला जाए यही इसका सरल उपाय है |जिस रास्ते जाना न हो उस ओर का रुख ही क्यों किया जाए |जब प्यार से जंग जीती जा सकती है तब इधर उधर क्यूं मन डोले |
पर हर कार्य समय माँगता है |समय से पहले कुछ भी नहीं मिलता |तभी कहा जाता है सब्र का फल मीठा होता है |
No comments:
Post a Comment