अमृत कलश

Monday, August 15, 2011

पहेलियाँ


(एक )


मैं हूँ एक छोटी सी नारी
भरी पेट में ज्ञान पिटारी
सभी मुझे हैं शीश झुकाते
अपना मन चाहा गुण पाते |
(दो )

शांत हिमालय पर सोती हूँ
पर गर्मीं में मैं रोत़ी हूँ
ये आंसू सागर तक जाते
जो पृथ्वी को भी सरसाते |

किरण





5 comments:

  1. संगीता जी दौनों पहेलियों के सही उत्तर के लिए बधाई |
    आशा

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  2. सागर जी ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |
    आशा

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  3. व्यस्तता के कारण इसे देख ही नहीं पाई ! मैंने भी यही उत्तर सोचे थे पुस्तक और नदी ! चलिए अब तो आपको सही उत्तर मिल गये ! वैसे पहेली के उत्तर अन्य पाठकों भी ढूँढने दिया करिये ! अगले दो दिन बाद सही उत्तर बताया करिये ! सधन्यवाद !

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  4. बढिया पहेलियां।
    मैंने उत्तर सोचा था-
    पुस्तक और ग्लेशियर।

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