स्वर्ग लोक से परियाँ आईं
किरण नसैनी से हो कर
नन्हे पौधों को नहलाया
ओस परी ने खुश हो कर |
फूल परी ने आ तब उनका
फूलों से सत्कार किया
सोई कली जगाईं पलकें चूम
बहुत सा प्यार दिया |
फिर सुगंध की परियाँ
कलसे भर भर कर पराग लाईं
नन्हे पौधों को सौरभ की
भर भर प्याली पकड़ाई|
देख सूर्य का तेज
लाज से सकुचा कर सब भाग गईं
खेल खेलने पौधों के संग
तितली पाँसे चले कई |
बच्चों पौधों जैसे यदि
उपकारी तुम बन जाओगे
वीर जवाहर बापू से बन
जग में नाम कमाओगे |
तो ये ही सब परियां आक़र
तुम पर प्यार लुटायेंगी
जग में फूलों की सुगंध सी
कीर्ति सुधा फैलायेंगी |
नाम तुम्हारा अमर रहेगा
सब तुमको दुलरावेंगे
ये हैं सच्चे लाल देश के
कह जन मन सुख पावेंगे |
किरण
किरण नसैनी से हो कर
नन्हे पौधों को नहलाया
ओस परी ने खुश हो कर |
फूल परी ने आ तब उनका
फूलों से सत्कार किया
सोई कली जगाईं पलकें चूम
बहुत सा प्यार दिया |
फिर सुगंध की परियाँ
कलसे भर भर कर पराग लाईं
नन्हे पौधों को सौरभ की
भर भर प्याली पकड़ाई|
देख सूर्य का तेज
लाज से सकुचा कर सब भाग गईं
खेल खेलने पौधों के संग
तितली पाँसे चले कई |
बच्चों पौधों जैसे यदि
उपकारी तुम बन जाओगे
वीर जवाहर बापू से बन
जग में नाम कमाओगे |
तो ये ही सब परियां आक़र
तुम पर प्यार लुटायेंगी
जग में फूलों की सुगंध सी
कीर्ति सुधा फैलायेंगी |
नाम तुम्हारा अमर रहेगा
सब तुमको दुलरावेंगे
ये हैं सच्चे लाल देश के
कह जन मन सुख पावेंगे |
किरण
बहुत ही मनभावन एवं प्रेरक कविता ! इसे पढ़ कर मन आनंदित हो गया !
ReplyDeleteमुझे भी यहाँ कविता बहुत अच्छी लगी |
ReplyDeleteआशा
स्वर्ग लोक से परियाँ आईं
ReplyDeleteकिरण नसैनी से हो कर
नन्हे पौधों को नहलाया
ओस परी ने खुश हो कर
बहुत ही प्यारी रचना है।
बच्चों के लिए एक उत्तम बालगीत।