अमृत कलश

Monday, August 29, 2011

बापू


बापू तुमने बाग़ लगाया
खिले फूल मतवारे थे
इन फूलों ने निज गौरव पर
तन मन धन सब वारे थे |
बापू तुमने पंथ दिखाया
चले देश के लाल सुघर
जिनकी धमक पैर की सुन कर
महा काल भी भागा डर |
बापू तुमने जोत जलाई
देशप्रेम की, मतवाले
हँसते हँसते जूझे जिससे
शलभ निराले सत वाले |
बापू तुमने बीन बजाई
मणिधर सोए जाग गये
सुन फुंकार निराली जिनकी
बैरी भी सब भाग गये |
बापू तुमने गीता गाई
फिर अर्जुन से चेते वीर
हुआ देश आज़ाद, मिटी
युग युग की माँ के मन की पीर |
आ जाओ ओ बापू फिर से
भारत तुम्हें बुलाता है
नव जीवन संचार करो
यह मन में आस जगाता है |
अभी तुम्हारे जैसे त्यागी की
भारत में कमी बड़ी
आओ बापू फिर से जोड़ो
सत्य त्याग की सुघर कड़ी |


किरण




2 comments:

  1. बहुत ही भावपूर्ण रचना ! अति सुन्दर !

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  2. बच्चों के लिए सभी रचनाएं अच्छी लगीं

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