अमृत कलश

Tuesday, December 27, 2011

फैशन का भूत

मुछ मुड़ाफैशन चला है 
आज कल इस देश में 
मर्द भी रहने लगे हैं
औरतों के वेश में |
आँखों पर चश्मा चढाया 
और लाली औठ पर
फूल कढ़वाने लगे हैं 
मर्द अपने कोट पर |
है अगर चूड़ी नहीं तो
है कलाई पर घड़ी
मांग तिरछी भाल पर है
रिंग उंगली में पड़ी |
रंग बिरंगे वस्त्र पहने 
एंठते हर चाल पर 
उस्तरे से छील दाढ़ी
पाउडर है गाल पर |
पैर में सेंडिल सुहाने 
कमर पेटी से कसी 
मटक चलते अनोखी 
चाल मस्ती से भरी|
देखलो  दोस्तों 
मैं कुछ कहता नहीं 
आज नर नारी बना है 
बिन कहे रहता नहीं |
किरण


4 comments:

  1. वाह वाह वाह …………शानदार प्रस्तुति …………सटीक्।

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  2. बड़े दिनों के बाद इतनी मज़ेदार रचना पढने को मिली है ! मम्मी के खजाने में हर रंग और हर स्वाद के व्यंजन भरे पड़े हैं जो हमारी पिपासा को शांत करने की क्षमता रखते हैं ! बहुत मज़ा आया इसे पढ़ कर !

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  3. वन्दना जी ,साधना जी और ऋता जी आपका धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
    आशा

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