मुछ मुड़ाफैशन चला है
आज कल इस देश में
मर्द भी रहने लगे हैं
औरतों के वेश में |
आँखों पर चश्मा चढाया
और लाली औठ पर
फूल कढ़वाने लगे हैं
मर्द अपने कोट पर |
है अगर चूड़ी नहीं तो
है कलाई पर घड़ी
मांग तिरछी भाल पर है
रिंग उंगली में पड़ी |
रंग बिरंगे वस्त्र पहने
एंठते हर चाल पर
उस्तरे से छील दाढ़ी
पाउडर है गाल पर |
पैर में सेंडिल सुहाने
कमर पेटी से कसी
मटक चलते अनोखी
चाल मस्ती से भरी|
देखलो दोस्तों
मैं कुछ कहता नहीं
आज नर नारी बना है
बिन कहे रहता नहीं |
किरण
वाह वाह वाह …………शानदार प्रस्तुति …………सटीक्।
ReplyDeleteबड़े दिनों के बाद इतनी मज़ेदार रचना पढने को मिली है ! मम्मी के खजाने में हर रंग और हर स्वाद के व्यंजन भरे पड़े हैं जो हमारी पिपासा को शांत करने की क्षमता रखते हैं ! बहुत मज़ा आया इसे पढ़ कर !
ReplyDeleteवाह! क्या कहने...
ReplyDeleteवन्दना जी ,साधना जी और ऋता जी आपका धन्यवाद टिप्पणी के लिए |
ReplyDeleteआशा