अमृत कलश

Monday, October 19, 2015

वह बालक




वह बालक

जब हम त्रिवेंद्रम में zoo में घूम रहे थे मैंथोडा पीछे रह गई |मैंने सोचा थोड़ा आराम करलूं |मैं एक बेंच पर बैठ गई |
इतने मैं स्कूली बच्चों का एक समूह उधर से गुजरा |वे जू देखने अपने स्कूल की तरफ से आये थे |थोड़ी देर
बाद हम चल पड़े |हम जानवरों को देखते हुए  धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे |
मेंने देखा की की एक बच्चा मुझसे कुछ कहना चाहता था |नाम पूछने पर उसने अपना नाम राज बताया |इतने मैं एक बन्दर ने जोर से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाई  |राजू खुशी से चहका "beautiful"|कुछ समय बाद वह हमारे साथ
साथ चलने लगा |जैसे ही नए पक्षी या जानवर को देखता बोलता "ब्यूटीफुल " या "फाईन "|वह ना तो हिंदी जनता थाऔर ना ही अंग्रेजी |मैने सोचा शायद स्कूल के बच्चों में से कोई पीछे छूट गया है |साथ चलते चलते वह इशारों से
व टूटी फूटी भाषा में मुझसे बातें करने लगा |उसने मुझे बताया की छह भाई बहिनों में वह सबसे बड़ा है |उसे उनकी देखभाल भी करना पड़ती है |गरीबी के कारण अब वह स्कूल नहीं जाता |
खैर लगभग दो घंटे तक वह हमारे साथ रहा |उसके घर की करुण कथा सुन मुझे उसपर बहुत दया आ रही थी |
और तो और उसकी भोली सूरत और इशारे से जू का रास्ता गाइड करना बड़ा अच्छा लग रहा था | जब हम बाहर निकलने लगे, मैंने उसे ५ रुपये देने चाहे | उसके मुह से निकला."नो! बस इतना ही? इन्होंने उसे १० रुपये दे दिए |
जैसे ही उसे रुपये मिले, वह गेट के पास पहुँचकर आइस कैंडी खरीदने लगा | उसने हमें बाय कहा और सीधा भाग खड़ा हुआ |
मैंने सोचा भी ना था कि इतना सा बच्चा हमें सरलता से बुद्धू बनाकर पैसे ऐंठ लेगा | फिर भी जब कभी वह किस्सा याद आता है तो उसके शब्द "ब्यूटीफुल" और "फाइन" कानों में गूँजने लगते हैं | उस छोटे गाइड को अभी तक नहीं भूल पाई हूँ | अभी भी आइस क्रीम दिखाकर उसका हाँथ हिलाना और कहना,"अंकल यह देखो !" फिर भाग जाना मुझे याद आता है |

आशा

2 comments:

  1. कभी-कभी बच्चे गुमराह होकर ऐसी हरकतें कर जाते हैं ! लेकिन हो सकता है उसका मन आइसक्रीम खाने के लिये लालायित हो और उसके पास पैसे न हों ! शायद इसीलिये वह आपको इम्प्रेस करने की कोशिश कर रहा था ! और अपनी कोशिश में वह कामयाब भी हो गया ! यह कोई बड़ा गुनाह नहीं ! रोचक संस्मरण !

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